Brief Summary
आज के द हिंदू न्यूज़पेपर एनालिसिस में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट, साउथ ईस्ट एशिया में ऑक्सीजन की कमी, नक्सलिज्म, चगोज़ आइलैंड डील और इंस्पायर फेलोशिप जैसे टॉपिक्स पर चर्चा की गयी है। कल होने वाले प्रीलिम्स एग्जाम के लिए टिप्स भी दिए गए हैं।
- चगोज़ आइलैंड का मुद्दा और भारत के लिए इसके मायने
- नॉर्थ ईस्ट की डेवलपमेंट और साउथ ईस्ट एशिया के लिए इसका महत्व
- साउथ एशिया और साउथ ईस्ट एशिया में ऑक्सीजन की कमी के कारण
- नक्सलिज्म की समस्या और सरकार के प्रयास
- इंस्पायर फेलोशिप स्कीम की जानकारी
चगोज़ आइलैंड्स: एक महत्वपूर्ण विश्लेषण
चगोज़ आइलैंड्स, जो इंडियन ओशन में स्थित आइलैंड्स का एक ग्रुप है, पहले फ़्रांस के कब्जे में था, फिर ब्रिटिश ने इसे मॉरीशस से अलग करके ब्रिटिश इंडियन ओशन टेरिटरी बना दिया। यहां डियागो गैसिया आइलैंड पर यूके और यूएसए का मिलिट्री बेस है। मॉरीशस लगातार इस आइलैंड पर अपना दावा करता रहा है, जिसे भारत का समर्थन मिला। हाल ही में, यूके ने पूरा चगोज़ आइलैंड मॉरीशस को दे दिया है, लेकिन डियागो गैसिया को 99 साल के लिए लीज़ पर ले लिया है, जिसके लिए यूके मॉरीशस को सालाना भुगतान करेगा।
नॉर्थ ईस्ट: विकास और संभावनाएं
नॉर्थ ईस्ट, जिसे अष्टलक्ष्मी भी कहा जाता है, साउथ ईस्ट एशिया का प्रवेश द्वार है। यहां राइजिंग नॉर्थ ईस्ट समिट जैसे इन्वेस्टमेंट समिट होते रहते हैं। नॉर्थ ईस्ट भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है: यह देश के लंग्स हैं, यहां विभिन्न कल्चर के लोग रहते हैं, और यह स्ट्रेटेजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। सरकार एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत नॉर्थ ईस्ट में डेवलपमेंट और शांति स्थापित करने पर ध्यान दे रही है, जिससे साउथ ईस्ट एशियन कंट्रीज के साथ कनेक्शन बढ़ाया जा सके। बायोइकोनॉमी, बम्बू प्रोडक्शन, टी प्रोडक्शन, स्पोर्ट्स और इको टूरिज्म यहां की मुख्य संभावनाएं हैं।
यूएसए की ट्रेड पॉलिसी और इंडिया पर असर
ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने यूरोपियन कंट्रीज को धमकी दी है कि उन पर 50% टेरिफ लगाया जाएगा। एप्पल को भी धमकी दी है कि अगर वह इंडिया में मोबाइल फोन बनाकर यूएसए में लाता है तो उस पर 25% टेरिफ लगेगा। इसके अलावा, यूएस यूनिवर्सिटीज में फॉरेन स्टूडेंट्स पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है। ऐसा लग रहा है कि यूएसए और इंडिया के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जिसकी वजह बांग्लादेश से होकर गुजरती है। यूएसए, इंडिया में एप्पल के इन्वेस्टमेंट को लेकर भी दादागिरी दिखा रहा है।
साउथ एशिया में ऑक्सीजन की कमी
साउथ एशिया और साउथ ईस्ट एशिया में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी है, जिसके पीछे मुख्य कारण फंड की कमी, टेक्नोलॉजी की कमी और ट्रेंड वर्कफोर्स की कमी है। लसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई साउथ एशिया और साउथ ईस्ट एशिया में सबसे कम है। इस ऑक्सीजन गैप को भरने के लिए वर्ल्ड को इन्वेस्ट करना चाहिए। शॉर्टेज ऑफ़ इक्विपमेंट्स, फाइनेंसियल बर्डन और ट्रेंड बायोमेडिकल इंजीनियर्स की कमी जैसी समस्याएं हैं।
नक्सलिज्म: कारण और समाधान
नक्सलिज्म एक कम्युनिस्ट मूवमेंट है जिसकी शुरुआत 1967 में वेस्ट बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई थी। इसके पीछे मुख्य कारण लैंड नहीं होना, एक्सप्लइटेशन, पावर्टी और अंडर डेवलपमेंट हैं। ट्राइबल एलिनेशन और स्टेट नेगलेक्ट भी इसके कारण हैं। नक्सलिज्म से प्रभावित राज्य हैं छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, बिहार, वेस्ट बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरला। सरकार ने समाधान जैसे कई इनिशिएटिव लिए हैं। बंदोपाध्याय कमेटी ने रिहैबिलिटेशन पर फोकस करने और ट्राइबल फ्रेंडली लैंड एक्विजिशन करने की सिफारिश की है।
इंस्पायर फेलोशिप: रिसर्च को बढ़ावा
रिसर्च स्कॉलर्स स्टाइपेंड समय पर नहीं मिलने से नाराज हैं। इंस्पायर फेलोशिप एक महत्वपूर्ण स्कीम है, लेकिन फंड की कमी के कारण रिसर्च प्रभावित हो रही है। सरकार को जल्द से जल्द फंड रिलीज करना चाहिए, वरना ब्रेन ड्रेन की समस्या हो सकती है। इंस्पायर स्कीम के कई कंपोनेंट्स हैं, जैसे इंस्पायर इंटर्नशिप, स्कॉलरशिप फॉर हायर एजुकेशन (SHE), इंस्पायर फेलोशिप और इंस्पायर फैकल्टी फेलोशिप।