Brief Summary
इस वीडियो में, अभि और नियू ने डोनल्ड ट्रंप की उस रणनीति पर बात की है जिससे वो दुनिया में रिसेशन लाना चाहते हैं. उनका मानना है कि ट्रंप ऐसा अमेरिका को सुपरपावर बनाए रखने के लिए कर रहे हैं. इस वीडियो में तीन स्टेप्स के बारे में बताया गया है: आग लगाना, दुनिया को जलाना और राख इकट्ठा करना.
- ट्रंप दुनिया में अशांति पैदा करना चाहते हैं ताकि अमेरिका अपनी करंसी को मैनिपुलेट करके अपना कर्ज कम कर सके.
- रिसेशन आने से दुनिया की बाकी अर्थव्यवस्थाएं धीमी हो जाएंगी, लेकिन अमेरिका फिर भी आगे बढ़ता रहेगा.
- अमेरिका हमेशा से अपने फायदे के लिए गेम के रूल्स बदलता आया है और इस बार भी वो ऐसा ही कर रहा है.
ट्रंप का मास्टर प्लान
ट्रंप के प्लान का पहला स्टेप है आग लगाना. वो दुनिया में अशांति (डिसरप्शन) चाहते हैं. अमेरिका पर $36 ट्रिलियन का कर्ज है. अमेरिका अपनी जीडीपी का 13% सिर्फ ब्याज चुकाने में खर्च कर देता है. इसलिए अमेरिका चाहता है कि वो किसी तरह से अपना कर्ज कम कर ले. अगर रिसेशन आता है तो अमेरिकन सेंट्रल बैंक ब्याज दरें गिरा देगा जिससे डॉलर की वैल्यू कम हो जाएगी. इससे अमेरिका का कर्ज तो कम नहीं होगा, लेकिन कर्ज की वैल्यू कम हो जाएगी.
ट्रंप रिसेशन क्यों चाहते हैं
ट्रंप के मास्टर प्लान का दूसरा स्टेप है दुनिया को जलाना. दुनिया की अर्थव्यवस्था एक जंगल की तरह है जिसमें हर पेड़ एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है. अमेरिका इस जंगल का सबसे बड़ा पेड़ है. ट्रंप एक लकड़हारे की तरह हैं जो जंगल के बाकी पेड़ों को काट रहा है. इससे बाकी पेड़ छोटे हो जाएंगे और अमेरिका पर निर्भर हो जाएंगे. अमेरिका के पास खुद का तेल और गैस है, टेक इंडस्ट्री है, दुनिया की सबसे बड़ी मिलिट्री है और वो किसी भी दुश्मन के साथ बॉर्डर शेयर नहीं करता है. रिसेशन आने से बाकी देशों की गाड़ियां धीमी हो जाएंगी, लेकिन अमेरिका की गाड़ी फिर भी आगे बढ़ती रहेगी.
अमेरिका ऑलवेज विन्स
लास वेगास के कसीनो की तरह, अमेरिका हमेशा जीतता है. वो गेम के रूल्स बदल सकता है. पहले दुनिया की करेंसी गोल्ड से लिंक्ड होती थी, लेकिन अमेरिका ने कहा कि आप सारी करेंसीज डॉलर से लिंक कर दो और हम डॉलर को गोल्ड से लिंक रखेंगे. इससे दूसरे देशों को ज्यादा नोट छापने का मौका मिला और अमेरिका के पास दुनिया का 75% गोल्ड रिजर्व आ गया. लेकिन फिर बाकी देशों की रेस कारें आगे बढ़ने लगीं तो अमेरिका ने गोल्ड स्टैंडर्ड को ही छोड़ दिया.
द अमेरिकन ड्रीम
जनरल मोटर्स, डिज्नी, माइक्रोसॉफ्ट, एयरबीएनबी और उबर जैसी बड़ी अमेरिकन कंपनियां रिसेशन के दौरान ही बनी थीं. जब भी कोई फाइनेंशियल क्राइसिस होता है तो नए सॉल्यूशंस उभरते हैं, टैलेंटेड लोग फ्री हो जाते हैं, रिसोर्सेज सस्ते हो जाते हैं, इन्वेस्टर्स मजबूत फाउंडेशन बनाने पर फोकस करते हैं और लोगों की रिस्क लेने की क्षमता बढ़ जाती है. इसलिए क्राइसिस पीरियड को एक इकोनॉमिक रिसेट बटन कहते हैं.
कंक्लूजन
ट्रंप के इस प्लान से आपके वॉलेट पर क्या असर होगा:
- वोलेटिलिटी: शेयर बाजार ऊपर-नीचे होंगे और आपकी नौकरी पर भी असर पड़ सकता है.
- सरकार के लिए सबक: अमेरिका कोई भरोसेमंद दोस्त नहीं है. वो अपनी अर्थव्यवस्था को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है.
- यह इन्वेस्ट करने का समय है: यह समय है कि आप अपनी रिस्क लेने की क्षमता को एडजस्ट करें और खुद में इन्वेस्ट करें. इंडियंस को यह देखना चाहिए कि अमेरिकन्स को क्या चाहिए और उनकी डिमांड क्या हम पूरी कर सकते हैं.